Friday 18 December 2015

आजादी

साढ़े तीन साल बाद अग्रवाल दंपत्ति अमेरिका से वापस आये । पांच वर्ष पहले पुत्र अमेरिका चला गया था । वहीं पढ़ाई करके वहीं नौकरी कर ली । अब दो वर्ष पूर्व उसने अपना निवास बना लिया था


और पत्नी को लेकर चला गया था, पहले बच्चे के जन्म केसमय उसे माँ की आवश्यकता हुई ,तो माँ-बाप को टिकेट भेज कर बुला लिया ,छः माह रह सकेंगे बच्चों के संग अच्छा लगेगा।


एयरपोट्र्र से बाहर आते ही उनकी नाक सिकुड़ उठी। अमेरिका की सड़कें हैं ,क्या फर्राटा भरती हैं एक दम चिकनी कहीं गड्ढे नहीं । क्या मजाल जरा भी जाम लग जाए ,‘जाम जैसी चीज तो वहां है ही नहीं यहाॅं तो  निकलते ही जाम में फंस गये ।

 ट्रैफिक जाम था, किसी ने यूटर्न ले लिया ,उसमें देर लग गयी और जाम की स्थिति आ गई पुलिस वाले से झिकझिक चल रही थी। जाम बढ़ता जा रहा था।


‘अरे ! क्या कर रहा है ,बगल से ले ले ,’उन्होंने ड्राइवर से कहा, ‘नहीं, और जाम लग जाएगा सिंगल रोड हैं न,’ मित्र जो लेने आये थे उन्होंने कहा।


‘ अरे !यार इस समय तोे घर की जल्दी पड़ी है। निकाल तू ,’उन्होंने बेताबी से कहा और किसी पान वाले पर रोकियों पान मसाला तम्बाकू खाए जुग बीत गया। बस वहां यही खराबी है ,पान मसाला नहीं मिलता ,ले गया था ,सब झपट लिया । पर प्रदूषण नाम का भी नहीं ,कोई होर्न भी नहीं बजा सकता। यहाँ देखों कैसी चिल्ल पों मची है । एक टुकड़ा भी सड़क पर डाल दो न जाने जुर्माना लेने प्रगट हो जाते हैं ।



गलती से भी टाफी का रैपर भी नहीं डाल सकते ,एक कागज की थैली हमेशा गाड़ी में रहती है ।  आप पुलिस वाले को कुछ दे भी नहीं सकते ,देने का प्रयास किया तो अन्दर । ’ अमेरिका की बातें बताते उनकी छाती गर्व से फूल रही थी।


‘ ड्राइवर रुकना ,गरम मूंगफली मिल रही हैं बीस रुपये की लाना’ पीछे और लंबी लाइन बढ गई ,मूंगफली लेकर छील छील कर सबको देने लगीं, साथ ही बोलीं,‘ अरे भाई साहब ,वहाँ तो कुकर में सीटी भी नहीं लगा सकते ,कुछ तल नहीं सकते ,जरा कुछ तलने लगती ,तो बहू दौड़ कर आ जाती ,‘मम्मी जी क्या कर रहीं हैं  अलार्म बज जायेगा ’ कभी कभी खिड़कियाँ बंद कर तला भुनी जरा सी करते, ब्रैड खा कर थक गए, पर हवा एकदम शुद्ध है वहाँ सांस लेने में आनंद तो था यहाँ तो ऐसा लग रहा है चारों ओर धुंआ ही धुआं है ,सुनो वो गरम कचैरी मिल रही है ले लो।’


‘अब आते ही एकदम मत खाओ ,पेट खराब हो जायेगा ,जरा यहाँ के खाने की आदत पड़ने दो ,वहाँ शुद्ध खाया है न।’
‘पर आप तो छः माह के लिए गए थे ’ मित्र हो हो कर हंसते बोले, ‘बहू ने निकाल दिया , उनका काम पूरा हो गयां’


‘अरे, नहीं बहू बेटा तो बहुत कह रहे थे । पर अकेले बोर हो जाते बच्चे तो सुबह ही चले जाते , अरे भाई साहब सब काम अपने हाथ से करने पड़ते मैं तो बर्तन मांजते तंग आ गई  अब मुढसे नहीं पलते बच्चे , यहाॅ होती हाल नौकरानी लगा लेती ,मेरे क्या बस की है ,’ पत्नी ने शीशा खोला और छिल्के का थैला बाहर फेंक दिया।
‘अरे यहाँ आजादी है यार वहाँ तो बंदिशें बहुत हैं यह कहते हुए दरवाजा खोला और पिच्च से  पीक का गोला थूक दिया ।

2 comments:

  1. बहुत अच्छा लिखा आपने

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  2. इसमें गलती किसी की नहीं है

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